पालतू पशु

ootoo

कंपकंपाती ठण्ड के मौसम में अपना ख्याल_ रखिये
सड़कों के किनारे बेजुबान पशुओं की देखभाल_करिये,
जिंदगी अनमोल है उन बेबसों की भी हमारी _तरह
हो सके तो अपनी तरफ से उनको भी सम्भाल _रखिये।

एक साम जरा तुम रुक जाना

 


जब वक्त परछाई में
गहरी सी तन्हाई में

एक साम जरा तुम रुक जाना
धीरे से कुछ भी कहा जाना

उस बार सफाई न मागूँगा
बस राग विरह के गाऊंगा

न राह निहारेगी मुझको
न रस्ता ताकेगा मुझको

न वापस मैं भी आऊँगा
न कोई सफाई मागूँगा

इस वसुधा पर जब तक सत्यम
आँख खोलकर जागूगा

बस तेरा होकर राह जाउगा
बस तेरा होकर राह जाउगा
...

जब तक जीवन की रेखा
पाप-पुण्य का लेखा-जोखा
किस आस के करण विरहित हूँ
क्या पाप किया जो  पराधीन

किस पाप की गठरी में खो कर
कर दिया ह्रदय को लहू विहीन

इस गिरती हुई लहू धारा में
बह कर भी न आना तुम

जैसे सब वादे भूल पायी हो
चेहरा भी मेरा भुलाना तुम

न तुम से कुछ भी पुछूग
सही गलत की बाते भी

जो न गुजरी फिर भी गुजरी
वो सारी गुजरी राते भी

मैं खा जाउगा कसम तुम्हारी
हाँ न आई तेरी यादें भी

न तुम से गुस्सा होऊँगा
अब न तेरे आगे रोऊंगा

तुझको जीवन भर खुशी मिले
जो दिल चाहे वो पा जाना

एक साम.....

क्या देखा क्या अनदेखा
वक्त की इस पुरवाई में

सुरु जहां से खत्म वहीं
उसकी छुपा छुपाई में

उसके वादे उसकी सिद्दत वो जाने
मन उसका, उसकी मोहब्बत वो जाने


कह देना मिले शमन तो
मेरी गलती लिख कर देगा

जो मेरे हक़ में बनती हो
वो सजा भी मुझे सुना देगा

उसकी बनाई आदत है
हर दर्द को हंस के सह लूँगा

न मैं वापस आऊँगा
न कोई सफाई मागूँगा











बड़े नाजुक है ये रिस्ते पैसे से इश्क वाले.....




 बड़े नाजुक है ये रिस्ते पैसे से इश्क वाले

दिल के इस धागे को लगाम समझ लेते है।

प्यार की जरूरत नही समझते हैं ये
ये प्यार को जरूरत का काम समझ लेते है।

लड़कियां समझ नही पाती है एक लड़का
हम लड़की को अपना ईमान समझ लेते है।

इतनी परीक्षा ले रहा है सरकार सा इश्क,तो
चलो हम जिंदगी को इंतहान समझ लेते है।

सही भी है तो मर जाते है वो लोग,जो इश्क
के अंजाम को खुद की साम समझ लेते है।

इतनी तरह से लिखकर देखा है तुझे हमने अब
हर लॉ ऑफ एकुशन में तेरा नाम समझ लेते है

मिलो बैठते है बाहों में बाहें डालकर कहीं
है कितनी पुरानी बातें अभी याद समझ लेते है।

पढ़-लिखकर पागल तो हो ही गए है ये लौडे
चाँद पर जाने की कहकर,लड़की को चाँद समझ लेते है।


कई राज होते हैं लड़कियों के एक राज में...

 कई राज होते हैं लड़कियों के एक राज में


 






 



 


कई राज होते हैं लड़कियों के एक राज में

न पता था जिंदगी कटेगी उसकी तलाश में

 


वो बराबर याद आता रहा मुझे और मैं
खुद को छोड़कर डूबा रहा उसकी याद में

 

गलत हो या गलती की सज़ा पाई है क्यों
इसको सोचूँगा पर सज़ा काटने के बाद में

 

मैं भूल गया था उसके अलावा सब कुछ
उसे भी कुछ न याद आया उस रात में

 

उसके बोलने पर फूल तो खैर नही झड़ते थे
पर कुछ अलग बात थी उसकी आवाज़ में

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क्या कहूँगा उससे रहबर मेरे .......

  क्या कहूँगा उससे रहबर मेरे 











 




 

 क्या कहूँगा उससे रहबर मेरे 

जिस-दिन वो आ बैठा बराबर मेरे


उसके बाद मैं खुद का नही हो पाया

वो किसी और के हो गए हो कर मेरे


उसका उसके लड़कों का हाल पूछूँगा

फिर बात रुक जाएगी हाँ पर मेरे


मैं कहूंगा सब ठीक है,सब खुश हैं

और सारे दोस्त हैं मुझसे बेहतर मेरे


बड़ी हिम्मत है उसमे वो रोयेगी नही

मैं रो दूँगा,नैन हो जाएंगे तर मेरे

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देहाती रेवोल्यूशनिस्ट कौन है /about dehati revolutionist




देहाती रेवोल्यूशनिस्ट कौन है /about dehati revolutionist 



देहाती रेवोल्यूशनिस्ट सत्यम मिश्रा हैं ,
 जिनका पूरा नाम सत्यम मिश्रा अनुपम निर्मला
 बाबू ( SHMAN बाबू ) है। 





 Dehati revolutionist kaun hai                                 

ये हिंदी साहित्यकार, एग्रीकल्चर इंजीनियर, 
ब्लॉगर और ट्रेवलर है। 
इनका जन्म उत्तर प्रदेश के जिला सीतापुर में 
रामुवापुर गाँव में सन २००० में  हुआ था.
इनके पिता का नाम बाबू राम मिश्र और माता का नाम निर्मला देवी है,

मैंने ही मोहब्बत की थी






 








मैने भी मोहब्बत की थी

मैंने ही मोहब्बत की थी

जहां जिंदा रहना फजूल था
ऐसी मैंने पूरी जिंदगी जी थी

मुँह से कटारें थी निकल रही 'तब
मैंने कलम भी जेब मे रख ली थी।

औरत रोने से घर ढह जाते है,
देख लोगो ने आंशू लड़ाई की थी।

मर्द रोते है,तो क्यों भनक तक नही होती
इस पर किसी ने बात तक नही की थी।

जब याद तुम्हारी आई है।......161

 


 

हर सफो सिकस्ती खाई है।
जब याद तुम्हारी आई है।

सब कुछ हारे पहले से ही
बस अब बात जान पर आई है।

हो न मिलनी सी ये मिलनी जब
तेरे साथ से बेहतर जुदाई है।

चल तकिया भिगोते है अब
हाँ रात बहुत हो आयी है।

है हँसने में मेरा रोना और
हर चीख चीखकर चिल्लाई है।

खुद भी बैठा और गला बैठ गया
पर न आवाज किसी को आई है।



शमन मुझे पसंद है......160



पसीने में भीगी हुई वो

रात में जागी हुई वो

किसी के लिए

दुआ में माँगी हुई वो

शमन मुझे पसंद है

.......

मुझको देखती हुई वो

मुझको रोकती हुई वो

मुझको टोकती हुई वो

बेमतलब सब कुछ

यूँ ही फेंकती हुई वो

शमन मुझे पसन्द है ......


राह चलती हुई वो

बात करती हुई वो

बात बात पे, बिना बात के

चिढ़ती हुई वो

शमन मुझे पसन्द है......


उसे घूमना पसंद है

मुझे घूमती हुई वो

उसे तैयार होना पसन्द है

मुझे तैयार होती हुई वो

उसे चेहरे पर जुल्फ लटकाना पसंद है

मझे जुल्फ लटकाए हुए वो

पसंद है.....


उसको बात बात पे मुँह बनाना पसन्द है

मुझे मुँह बनाते हुए वो

उसे गोलगप्पे खाना पसन्द है

मुझे गोलगप्पे खाते हुए वो

उसे गाना पसन्द है

मुझे गाते हुए वो

पसन्द है....


उसे गुस्सा करना पसन्द है

मुझे गुस्सा करती हुई वो

जब कभी वो डर जाती है

तो डरी हुई वो

उसे खेलना पसंद है

मुझे खेलती हुई वो

उसे काम करना पसन्द है

मुझे काम करती हुई वो

उसे बारिस में भीगने पसन्द है

मुझे भीगती हुई वो

पसन्द है.....


उसे काजल लगाना पसंद है

मुझे काजल लगाए हुए वो

उसे शॉर्टस पसन्द है

मुझे पहने हुए वो

पसन्द है.....

 .